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कर्मवीर

  ( प्रस्तुत गीत के माध्यम से कवि कर्मवीरों की विशेषताओं को व्याखायित कर रहे है | कर्म एवं समय के सदुपयोग को संदर्भित किया गया है )   देख कर बाधा विविध , बहु विघ्न घबराते नही  रह भरोसे भाग्य के दुःख भोग पछताते नही || काम कितना ही कठिन हो किन्तु उकताते नही | भीडं में चंचल बने जो वीर दिखलाते नही || हो गये एक आन में उनके बुरे दिन भी भले | सब जगह सब काल में वे ही मिले फूले-फले ||                                  आज करना है जिसे करते उसे है आज ही |                                सोचते कहते है जो कुछ , कर दिखाते है वही ||                                मानते जो भी है ' सुनते है ' सदा सबकी कही |                                जो मदद करते है अप...

पर्वत कहता शीश उठाकर

                              पर्वत कहता शीश उठाकर                 पर्वत कहता शीश उठाकर तुम भी ऊँचे बन जाओ,                 सागर कहता है लहरा कर मन में गहराई लाओ,             समझ रहे हो क्या कहती है उठ उठ गिर गिर तरल तरंग,             भर लो भर लो अपने मन में मीठी मीठी मृदुल उमंग,              पृथ्वी कहती धैर्य न छोड़ो कितना भी हो सिर पर भार                नभ कहता है फैलो इतना ढक लो तुम सारा संसार ।।                                                                   - सोहन लाल द्विवेदी         Visit my In...

माँ कह एक कहानी

                                    माँ कह एक कहानी "माँ कह एक कहानी।" "बेटा समझ लिया क्या तूने मुझको अपनी नानी?" "कहती है मुझसे यह चेटी, तू मेरी नानी की बेटी कह माँ कह लेटी ही लेटी, राजा था या रानी? माँ कह एक कहानी।" "तू है हठी, मानधन मेरे, सुन उपवन में बड़े सवेरे, तात भ्रमण करते थे तेरे, जहाँ सुरभि मनमानी।" "जहाँ सुरभि मनमानी! हाँ माँ यही कहानी।" "वर्ण वर्ण के फूल खिले थे, झलमल कर हिमबिंदु झिले थे, हलके झोंके हिले मिले थे, लहराता था पानी।" "लहराता था पानी, हाँ हाँ यही कहानी।" "गाते थे खग कल कल स्वर से, सहसा एक हँस ऊपर से, गिरा बिद्ध होकर खर शर से, हुई पक्षी की हानी।" "हुई पक्षी की हानी? करुणा भरी कहानी!" "चौंक उन्होंने उसे उठाया, नया जन्म सा उसने पाया, इतने में आखेटक आया, लक्ष सिद्धि का मानी।" "लक्ष सिद्धि का मानी! कोमल कठिन कहानी।" "माँगा उसने आहत पक्षी, तेरे तात किन्तु थे रक्षी, तब उसने जो था खगभक्षी, हठ करने की ठानी।" "हठ कर...

कोई लाके मुझे दे!

                             कोई लाके मुझे दे!                   कुछ खट्टे मीठे फल                      थोड़ी बांसुरी की धुन                      थोड़ा जमुना का जल                       कोई लाके मुझे दे                   एक सोना जड़ा दिन                      एक रूपों भरी रात                     एक फूलों भरा गीत                     एक गीतों भरी बात                   कोई लाके मुझे दे।                   एक छाता ...

पथ मेरा आलोकित कर दो

पथ मेरा आलोकित कर दो।  नवल प्रातः की नवल रश्मियों से मेरे उर का तम हर दो, पथ मेरा आलोकित कर दो । मैं नन्हा सा पथिक विश्व के पथ पर चलना सीख रहा हू, मैं नन्हा सा विहग विश्व के नभ मे उड़ना सीख रहा हू, पहुंच सकू निर्दिष्ट लक्ष तक, मुझको ऐसे पग दो पर दो। पाया जग से जितना अब तक और अभी जितना मैं पाऊ, मनोकामना है यह मेरी उससे कहीं अधिक दे जाऊँ, धरती को ही स्वर्ग बनाने का मुझको मंगलमय वर दो।। नवल प्रातः की नवल रश्मियों से  मेरे उर का का तम हर दो पथ मेरा आलोकित कर दो ।।                                              :-  द्वारिका प्रसाद महेश्वरी                                           

हे भारत के राम जगो, मैं तुम्हें जगाने आया हूं,

  हे भारत के राम जगो, मैं तुम्हें जगाने आया हूं,                            सौ धर्मों का धर्म एक, बलिदान बताने आया हूं सुनो हिमालय कैद हुआ है, दुश्मन की जंजीरों में आज बता दो कितना पानी, है भारत के वीरो में, खड़ी शत्रु की फौज द्वार पर, आज तुम्हें ललकार रही, सोये सिंह जगो भारत के, माता तुम्हें पुकार रही. रण की भेरी बज रही, उठो मोह निद्रा त्यागो, पहला शीष चढाने वाले, मां के वीर पुत्र जागो. बलिदानों के वज्रदंड पर, देशभक्त की ध्वजा जगे, और रण के कंकण पहने है, वो राष्ट्रभक्त की भुजा जगे… अग्नि पंथ के पंथी जागो, शीष हथेली पर धरकर, जागो रक्त के भक्त लाडले, जागो सिर के सौदागर, खप्पर वाली काली जागे, जागे दुर्गा बर्बंडा, और रक्त बीज का रक्त चाटने, वाली जागे चामुंडा. नर मुंडों की माला वाला, जगे कपाली कैलाशी, रण की चंडी घर- घर नाचे, मौत कहे प्यासी-प्यासी, रावण का वध स्वयं करूंगा, कहने वाला राम जगे, और कौरव शेष न एक बचेगा, कहने वाला श्याम जगे. परशुराम का परशु जगे, रघुनन्दन का बाण जगे, यदुनंदन का चक्र जगे, अर्जुन का धनुष म...

पुष्प की अभिलाषा

  Capture on 30 Mar 2021 08:52                     चाह  नहीं मैं सुरबाला के  गहनों में गूँथा जाऊँ                चाह नहीं प्रेमी-माला मे बिंध प्यारी को ललचाँऊ                चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊँ                 चाह नहीं देवों के सिर पर चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊंँ                                             मुझे तोड़ लेना वन माली उस पथ पर तुम देना फेंक              मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पर जाते वीर अनेक।।                                                                  ...

Chand Aur Uski Maa

  Capture on 15 July 2021 19:07                 हठ कर बैठा चाँद एक दिन माता से यह बोला           सिलवा दो माँ मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला           सन सन चलती हवा रात भर जाड़े से मरता हू          ठिठुर ठिठुर कर किसी तरह मैं यात्रा पूरी करता हू          आसमान का सफर और यह मौसम है जाड़े का            अगर ना हो तो ला दो कुर्ता ही कोई भाड़े का                      बच्चें की सुन बात कहा माता ने अरे सलोने             कुशल करे भगवान लगे ना तुझको जादू टोने            जाड़े की तो बात ठीक है पर मैं तो डरती हू           एक नाप मे कभी नहीं तुझको देखा करती हू          कभी एक अंगुल भर चौड़ा कभीं एक फुट मोटा          बड़ा किसी दिन ह...

Sunset Rhymes

  -    Try to best photography in the evening.. Capture on 13 July 2021 18:43       विमल इंदु की विशाल किरणें       प्रकाश तेरा बता रहीं हैं       अनादि तेरी अनंत माया      जगत को लीला दिखा रहीं हैं ।                                                               प्रसार तेरा दया का कितना                                      ये देखना हो तो देखे सागर                                      तेरी प्रसंसा का राग प्यारे                                   ...

मेरा गांव

                        It's the True Beauty of Nature  Try to best photography and it's result and it's original photographs without any filter and effects....                                   Please tell me in comment box how it is looking..                                           Thank you.........     इस लहलाती हरियाली से , सजा है ग़ाँव मेरा….. सोंधी सी खुशबू , बिखेरे हुऐ है ग़ाँव मेरा… !! जहाँ सूरज भी रोज , नदियों में नहाता है……… आज भी यहाँ मुर्गा ही , बांग लगाकर जगाता है !! जहाँ गाय चराने वाला ग्वाला , कृष्ण का स्वरुप है ….. जहाँ हर पनहारन मटकी लिए, धरे राधा का रूप है !! खुद में समेटे प्रकृति को, सदा जीवन ग़ाँव मेरा …. इंद्रधनुषी रंगो से ओतप्रोत है, ग़ाँव मेरा ..!! .        ...