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Vikram Batra

                                      विक्रम बत्रा      9 सितम्बर 1974 को हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में पैदा हुए कैप्टन विक्रम बत्रा दिसम्बर 1997 में अपनी शिक्षा समाप्त कर सोपोर में सेना की 23 जम्मू कश्मीर रायफल्स में लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्त हुए | 1 जून 1999 को कारगिल युद्ध के दौरान हम्प और राकीनाब स्थान को जीतने के बाद उन्हें कैप्टन बना दिया गया | कैप्टन विक्रम बत्रा को श्रीनगर - लेह मार्ग के ठीक ऊपर सबसे महत्वपूर्ण चोटी - 5140 को पाक सेना से मुक्त करवाने का जिम्मा दिया गया | वह  क्षेत्र बहुत ही दुर्गम था फिर भी विक्रम बत्रा ने अपने साथियो के साथ 20 जून 1999 को सुबह 3:30 बजे तक इस छोटी को अपने कब्जे में ले लिए | इसके बाद पॉइंट -4815 को भी कब्जे में लेने की बागडोर इन्हें सौपी गयी | इस अभियान में उन्होंने अपनी जान की परवाह किये बिना अभूतपूर्व वीरता का परिचय दिय...

Swami Vivekanand

                              स्वामी विवेकानंद   "यदि कोई यक्ति यह समझता है कि वह दुसरे धर्मो का विनाश कर अपने धर्म की विजय कर लेगा . तो बंधुओ ! उसकी यह आशा कभी भी पूरी नहीं होने वाली | सभी धर्म हमारे अपने है इस भाव से उन्हें अपनाकर ही ऍम अपना और सम्पूर्ण मानवजाति का विकास कर पायेंगे | यदि भविष्य में कोई ऐसा  धर्म उत्पन्न हुआ जिसे सम्पूर्ण विश्व का धर्म कहा जाय तो वह अनंत और निर्बाध होगा | वह धर्म न तो हिन्दू होगा , न मुसलमान होगा न  बौद्ध होगा , न इसाई होगा अपितु वह इन सबके मिलन और सामंजस्य से पैदा होगा |"     ये ही वो शब्द है , जिन्होंने विश्व मंच पर भारत की सिरमौर छवि को प्रस्तुत किया और संसार को यह मानने को विवश कर दिया कि भारत वास्तव में विश्व गुरु है |  क्या आप जानते है , ये शब्द किसने कहे थे ?ये शब्द 11 सितम्बर सन 1893 को शिकागो (अमेरिका ) में आयोजित विश्व धर्म सभा के मंच पर स्वामी विवेकानंद ने कहे थे | स्वा...

Chandrashekhar Aajaad

                                            दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगें।                                                  आजाद ही रहे है आज़ाद ही रहेंगे।।   ऐसी विचार धारा के समर्थक अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को अलीराजपुर  जिले (मध्यप्रदेश) के भावरा ग्राम मे हुआ था। इनके पिता पं0 सीताराम तिवारी मूल  रूप से उन्नाव जिले (उ. प्र.) के बदकरा ग्राम के रहने वाले थे। इनकी माता जगरानी देवी थीं। ये बचपन से ही न्यायप्रिय और उच्च विचारो वाले थे चन्द्रशेखर का विद्यार्थी जीवन 5 - 6 वर्ष की अवस्था से ही आरंभ हो गया था, ये अपने बड़े भाई सुखदेव के साथ गांव की पाठशाला मे पढ़ने जाते थे। जब ये 14 वर्ष के थे तो माता-पिता से काशी जाकर पढ़ने के लिए आग्रह किया परंतु माता-पिता की अनुमती न  मिलने पर बिना बताये ही अध...